Thursday, May 21, 2020

अमेरिका ने कहा - रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की संभावना अभी बनी हुई है May 21, 2020 at 12:22AM

अमेरिका ने कहा है कि रूस से अरबों डॉलर के एस -400 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने इसकी जानकारी दी है।

अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस से पांच एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए 5 अरब डॉलर की एक डील साइन की थी। इस डील पर अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी थी। अमेरिका ने कहा था कि भारत के खिलाफ काटसा एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है। पिछले साल भारत ने मिसाइल सिस्टम के लिए रूस को पहली किस्त लगभग 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था। एस-400 रूस का सबसे आधुनिक लांग रेंज सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम है।

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी विदेश विभाग की शीर्ष अधिकारी एलिस वेल्स ने बुधवार को वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक को बताया कि हमारी पॉलिसी में काटसा प्राथमिकता पर है। हम रुस को मिलिट्री हथियार बेचकर रुपये नहीं कमाने दे सकते, क्योंकि रूस इसका इस्तेमाल अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ करेगा।

अमेरिका ने रूस के खिलाफ लगाए हैं प्रतिबंध
अमेरिका ने रूस पर काटसा के तहत प्रतिबंध लगाए थे। कानून में रूस से रक्षा सामान खरीदने वाले देशों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अगस्त 2017 में ‘काटसा’ पर हस्ताक्षर किए थे।

भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए अमेरिका में आए
एलिस वेल्स ने कहा कि कोविड-19 ने चिंता और अनिश्चितता की स्थिति पैदा की है लेकिन अमेरिकी प्रशासन चाहता है कि भारतीय छात्र पढ़ने के लिए देश में आएं। हालांकि, महामारी के कारण अभी वीजा प्रक्रिया नहीं चालू है। उन्होंने अटलांटिक काउंसिल द्वारा हुई ऑनलाइन चर्चा में भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा से कहा, ‘‘हम खुले दिल से इस ओर आगे बढ़ने जा रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि छात्र देशों के बीच राजदूतों की तरह काम करते हैं और उनका लक्ष्य अमेरिका में भारतीय छात्रों को लाना है।
भारत के 2 लाखसे अधिक छात्र अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं और चीन के बाद अमेरिका में विदेशी छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की है।



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एलिस वेल्स ने कहा कि हम रुस को मिलिट्री हथियार बेचकर रुपये नहीं कमाने दे सकते, क्योंकि रूस इसका इस्तेमाल अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ करेगा।

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