Wednesday, January 8, 2020

ट्रंप को खाड़ी में अपने 70 हजार सैनिकों, 100 बेसों की फिक्र, इसलिए शांति का पाठ पढ़ाया January 08, 2020 at 04:21PM

बगदाद/वॉशिंगटन/तेहरान.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया ब्रीफिंग में ईरान पर किसी तरह की सैन्य कार्रवाई नहीं करने का संदेश दिया। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा ट्रंप ने इसलिए किया ताकि खाड़ी के 20 देशों में अमेरिका के मौजूद करीब 70 हजार सैनिकों और 100 सैन्य बेसों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। वहीं, ईरान ने बुधवार सुबह इराक स्थित 2 मिलिट्री बेसों पर 22 मिसाइलें दागीं। इनमें अइन अल-असद और इरबिल बेस शामिल हैं। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान ने जानबूझकर इन अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें नहीं गिराईं। ताकि अमेरिकी हमलों से बचा जा सके। सैटेलाइट इमेज में भी यह साफ नजर आ रहा है।


ईरान की फारस न्यूज एजेंसी के मुताबिक अइन अल-असद एयर बेस पर फतेह-313 मिसाइल से हमला किया गया। यह एयर बेस बगदाद से 233 किमी दूर स्थित है। फतेह मिसाइल का ईरान ने 2015 में परीक्षण किया था। इसकी मारक क्षमता 500 किमी है। 40 साल में ईरान द्वारा यह अमेरिका पर पहला सीधा हमला है। इससे पहले 1979 में ईरान ने तेहरान स्थित दूतावास में अमेरिका के 52 राजनयिकों को एक साल तक कैद कर रखा था।


ईरानी रक्षा मंत्री अामिर हातामी ने कहा कि यदि अमेरिका इस हमले के जवाब में हम पर कोई और हमला करता है, तो हम उसे पूरा जवाब देंगे। पर विदेश मंत्री जावेद जाफरी ने कहा कि यह हमला हमने आत्मरक्षा के लिए किया। हम युद्ध नहीं चाहते हैं। वहीं, यूरोपीय और नाटो एकजुटता दिखाते हुए हमले की निंदा की है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और ब्रिटिश पीएम जॉनसन ने दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की है।
इराक बोला- ईरान ने हमले के बारे में बताया थाइराकी पीएम ने कहा कि ईरान ने इस मिसाइल हमले के बारे में उन्हें पहले ही जानकारी दे दी थी। वहीं, अमेरिकी अधिकारियों की मानें तो उनके आधुनिक डिटेक्शन सिस्टम की बदौलत सैनिकों को पहले ही मिसाइल हमले की चेतावनी मिल गई थी, जिससे वे बंकर में छिप गए।

सामरिक महत्व :असद बेस इराक में अमेरिका का दूसरा बड़ा बेस, ट्रंप दो बार पहुंचे

अनबर प्रांत में स्थित अल-असद एयर बेस अमेरिका का इराक में स्थित दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बेस है। इसे अमेरिका ने 2003 में बनाया था। राष्ट्रपति ट्रंप 2018 में क्रिसमस पर और 2017 में यहां का दौरा भी कर चुके हैं। उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी दो बार आ चुके हैं।

अल असद बेस : असद बेस पर 2016 में आईएस ने हमला किया था। पिछले महीने भी 5 रॉकेट दागे गए थे। पर नुकसान नहीं हुआ था।

सैन्य ताकत :इरबिल बेस से बगदादी पर हमले को डेल्टा कमांडो रवाना हुए थे

इरबिल स्थित बेस को अमेरिका ने कोई नाम नहीं दिया है। पर यह कुर्दिश इलाके में एयरपोर्ट के नजदीक है। इरबिल पर कुर्दों का कब्जा है। अक्टूबर में अमेरिकी डेल्टा कमांडो ने इरबिल से ही सीरिया में बगदादी के ठिकाने पर हमला करने के लिए उड़ान भरी थी। 8 हेलीकॉप्टर्स यहां पर हैं।

मुश्किल चुनौती :2003 से 2011 तक इराक में 1.5 लाख अमेरिकी तैनात रहे थे

इराक में अमेरिका के करीब 6 हजार सैनिक फिलहाल मौजूद हैं। 2003 से लेकर 2011 तक इराक युद्ध के दौरान अमेरिका के 1.5 लाख सैनिक तैनात रह चुके हैं। हालांकि सुलेमानी की हत्या के बाद इराकी संसद और प्रधानमंत्री अमेरिका को देश छोड़ने के लिए कह चुके हैं।


खाड़ी की तस्वीर:खाड़ी के 20 देशों में अमेरिका के 100 सैन्य बेस ; ईरान के 35 बेस

अमेरिका के दुनिया के 130 देशों में 750 बेस, 3.5 लाख सैनिक

अमेरिका के दुनिया के 130 देशों में 750 से ज्यादा मिलिट्री बेस हैं। इन पर करीब 3.5 लाख सैनिक तैनात हैं। मध्य-पूर्व एशिया के 20 देशों में 100 से ज्यादा अमेरिकी बेस हैं। अमेरिका के सेंट्रल कमांड के मुताबिक इन पर 60 से 70 हजार जवान तैनात हैं। अफगानिस्तान में अमेरिका के 14000 जवान तैनात हैं, इसके अलावा 8 हजार नाटो जवान भी तैनात हैं। वहीं, सीएनटीसीओएम के मुताबिक अकेले ईरान के आसपास अमेरिका के करीब 15 से 20 हजार जवान मौजूद हैं। गल्फ में अमेरिकी नौसेना की 5वीं फ्लीट तैनात है। इस फ्लीट में करीब 16 हजार जवान हैं। अरब सागर में सीवीएन 65 और अब्राहम लिंकन एयरक्राफ्ट कैरियर भी मौजूद हैं। वहीं, ईरान के खाड़ी में खुद समेत 35 मिलिट्री बेस हैं।

  • तुर्की: 2500 सैनिक मौजूद। यहां अमेरिका के इजमिर और इनरलिक एयरबेस हैं। हालांकि अभी तनातनी है।
  • सीरिया: 800 सैनिक। हाल में ट्रंप ने यहां से सैनिकों के निकलने का ऐलान किया था।
  • जॉर्डन: 3000 सैनिक, जॉर्डन की सीमा सीरिया, इजरायल और फिलिस्तीन से लगी हैं।
  • इजरायल: यहां अमेरिका का माशाबिन एयर बेस और एक डिफेंस स्कूल हैं। दोनों एक-दूसरे के अहम साथी हैं।
  • सऊदी अरब: 3000 सैनिक मौजूद हैं। यहां इस्कान विलेज में अमेरिकी सैनिकों के लिए विला बना है।
  • यमन: अमेरिका का एक बेस है। यमन, लेबनान के विद्रोही गुट ईरान के साथ हैं।
  • कुवैत: 13 हजार सैनिक हंै। यहां कई अमेरिकी बेस हैं, अमेरिका-कुवैत में डिफेंस काेऑपरेशन एग्रीमेंट है।
  • बहरीन: 7 हजार सैनिक हैं। ये जवान फारस की खाड़ी में सुरक्षा के लिए तैनात हैं। यहां शेख ईसा एयर बेस और खलीफा इब्न सलमान पोर्ट सबसे अहम हैं।
  • ओमान: 600 सैनिक मौजूद हैं। ये यहां साल्लाह और दुक्म पोर्ट पर तैनात हैं।
  • यूएई: 5 हजार सैनिक। सभी ईरान के पास होर्मुज खाड़ी में तैनात हैं। यहां अल ढफरा, जेबेल अली और फुजैराह नेवल बेस हैं।
  • कतर: 13 हजार सैनिक हैं। ये जवान यहां अल उदीद एयर बेस और सायलीह कैंप में तैनात हैं।

दुनिया ने कहा- संयम बरतें :

चीन :युद्ध की स्थिति टालने में जिम्मेदार की भूमिका निभाएंगे
चीन ने कहा है कि सभी को संयम बरतना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि यह किसी भी देश के हित में नहीं है कि मध्य पूर्व में स्थिति और बिगड़े। शुआंग ने कहा कि चीन युद्ध की स्थिति को टालने में जिम्मेदार की भूमिका निभाएगा।

रूस : अमेरिका चुप नहीं बैठेगा, वह बड़ा हमला करेगा
रूस की संसद के ऊपरी सदन के उपसभापति व्लादिमीर दजबारोव ने कहा है कि अमेरिका-ईरान में आपसी हमले जारी रहे तो युद्ध छिड़ सकता है। अमेरिका लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया तो एटमी युद्ध भी हो सकता है। हमले में अमेरिका को बड़ा नुकसान हुआ है, तो वह चुप नहीं बैठेगा।

इजरायल : ईरान ने हम पर हमला किया, तो कड़ा जवाब देंगे
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने हम पर हमला किया तो उसे बड़ा झटका देंगे।

जर्मनी : ईरान को नसीहत- आक्रामकता छोड़ें, संघर्ष खत्म करें
जर्मनी ने कहा है कि ईरान जल्द इस संघर्ष को खत्म करे। जर्मनी की रक्षा मंत्री एनग्रेट क्राम्प ने कहा कि किसी भी पक्ष की आक्रामकता स्वीकार्य नहीं है।

ब्रिटेन : दोबारा हमला न करे ईरान, यह पूरी तरह गलत
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा कि गठबंधन सैन्य ठिकानों पर हमला किसी भी स्थिति में सही नहीं है। ईरान दोबारा इस तरह का हमला न करे।

यूएई : राजनीतिक बातचीत से तनाव कम कर सकते हैं
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अनवर गर्गाश ने कहा कि राजनीतिक बातचीत से तनाव कम किया जा सकता है।

यूरोपीय यूनियन : अमेरिका और ईरान बातचीत शुरू करें
मध्य-पूर्व में हथियारों का इस्तेमाल तत्काल बंद हो। अमेरिका और ईरान बातचीत शुरू करें और टकराव खत्म करें।



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ईरान ने बुधवार सुबह इराक स्थित 2 मिलिट्री बेसों पर 22 मिसाइलें दागीं।

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