Monday, November 16, 2020

अजरबैजान ने 3-T यानी टेक्नोलॉजी, टैक्टिक्स और तुर्की के दम पर आर्मेनिया से युद्ध जीता; 43 दिन तक चली लड़ाई खत्म November 16, 2020 at 02:44PM

अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच करीब 30 साल से चला आ रहा युद्ध अजरबैजान की जीत के साथ ही खत्म हो गया। अजरबैजान ने आर्मेनियाई सेना को तबाह कर विवादित इलाके नागर्नो-कराबाख पर कब्जा कर लिया है और इलाके का अब आर्मेनिया से संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। लेकिन इस जीत के पीछे जो वजहें रहीं, उन्हें भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। अजरबैजान ने थ्री-T यानी टेक्नोलॉजी, टैक्टिक यानी रणनीति और तुर्की के दम पर जीत हासिल की।

अजरबैजान की जीत की वजह क्या रही?
अजरबैजान ने 3-T यानी टेक्नोलॉजी, टैक्टिक और तुर्की के दम पर जीत हासिल की। उसने तुर्की के बैराक्तर टीबी-2 और इजरायल के कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया। वहीं आर्मेनिया टैंक, आर्टिलरी, रडार और एयर डिफेंस सिस्टम के भरोसे रहा।
युद्ध में किसे ज्यादा नुकसान हुआ?
ज्यादा नुकसान आर्मेनिया को हुआ। उसके 185 टैंक, 44 इन्फेंट्री फाइटिंग व्हीकल्स, 147 टो आर्टिलरी गन, 19 सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टिलरी, 72 मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्चर्स और 12 रडार तबाह हुए।

कहां जा रहा है कि युद्ध में ड्रोन निर्णायक साबित हुए?
आर्मेनियाई पीएम पाशिन्यान ने भी कहा कि हमारे पास ड्रोन हमलों का कोई जवाब नहीं था। दरअसल, ये ड्रोन तापमान, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के जरिए टारगेट का पता लगा लेते हैं। बैराक्तर और अंका-एस ड्रोन 4 मिसाइल, 15-55 किलो के बम ले जा सकते हैं। लेजर गाइडेड मिसाइल दाग सकते हैं। सीरिया में तुर्की ने रूस के एस-300, एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिया था।
अजरबैजान की टैक्टिक यानी रणनीति भी काफी असरदार रही?
बिल्कुल, अजरबैजान ने चालाकी से रणनीति बनाई। उन्होंने 1940 में बने सिंगल प्रोपेलर इंजन वाले विमान को ड्रोन में तब्दील किया और आर्मेनिया के गढ़ में भेजा। उसे देख आर्मेनिया ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम और अन्य हथियार सक्रिय कर दिए। इससे उनकी स्थिति का खुलासा हुआ और अजरबैजान ने ड्रोन के जरिए घेरकर सब तबाह कर दिया। इससे आर्मेनिया कमजोर पड़ गया।
तीसरे टी यानी तुर्की की क्या भूमिका रही?
तुर्की के पीएम ने कहा था कि अजरबैजान की जीत तक उसका साथ देंगे। तुर्की ने उसे टेक्नोलॉजी और ड्रोन उपलब्ध करवाए, जो निर्णायक साबित हुए। तुर्की इनका इस्तेमाल पहले सीरिया और लीबिया में कर चुका है।



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बैराक्तर और अंका-एस ड्रोन 4 मिसाइल, 15-55 किलो के बम ले जा सकते हैं। लेजर गाइडेड मिसाइल दाग सकते हैं।

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