पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहले मंदिर का निर्माण शुरू होते ही रोक दिया गया। शुक्रवार को लोकल बॉडी ने कहा कि मंदिर बनाने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली गई। इसके अगले ही दिन यानी शनिवार को कट्टरपंथी गुट ने मंदिर की नींव का ऊपरी हिस्सा तोड़ दिया। इसका वीडियो भी सामने आया है। मंदिर निर्माण के खिलाफ फतवा पहले ही जारी किया जा चुका है।
आगे क्या होगा?
मंदिर निर्माण को लेकर इमरान सरकार अब काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी की सलाह लेगी। प्रस्तावित कृष्ण मंदिर के लिए 20 हजार फीट जमीन अलॉट की गई है। मानवाधिकार मामलों के संसदीय सचिव लाल चंद मल्ही ने हाल ही में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। डॉन न्यूज के मुताबिक, कैपिटल डेवलपमेंट ऑथोरिटी (सीडीए) ने शुक्रवार को कानूनी वजहों का हवाला देते हुए मंदिर निर्माण रोक दिया था।
निर्माण से पहले मंजूरी लें
बिल्डिंग कंट्रोल सिस्टम (बीसीएस) ने शुक्रवार को मंदिर निर्माण स्थल का दौरा किया। वहां मौजूद जिम्मेदारों से कहा कि निर्माण के लिए मंजूरी और नक्शा देना जरूरी है। लाल चंदमल्ही ने कहा- हमने नियमों का पालन किया है। मंदिर की बाउंड्रीवॉल जरूरी थी क्योंकि कुछ लोगों ने दो साल पहले यहां टेंट लगा दिया था। हम कई महीने बाद इसे खाली करा पाए।
इमरान सलाह लेंगे
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान अब धार्मिक मंत्रालय से कहेंगे कि वह मंदिर निर्माण परकाउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी से बातचीत करे। सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने मंदिर निर्माण को इस्लाम के खिलाफ बताया था।
इस्लामाबाद में 3 हजार हिंदू आबादी
इस्लामाबाद में करीब तीन हजार हिंदू आबादी है। इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी, कारोबारी और डॉक्टर शामिल हैं। हिंदू पंचायत इस्लामाबाद कृष्ण मंदिर का मैनेजमेंट संभालेगा।आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में करीब 75 लाख हिंदू रहते हैं। ज्यादातर हिंदू सिंध प्रांत में रहते हैं।
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