Thursday, April 2, 2020

30% संक्रमितों में संक्रमण का एक भी लक्षण नहीं नजर आया था; ज्यादातर देशों में महामारी फैलने की यही बड़ी वजह April 02, 2020 at 02:28AM

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चीन में की गई एक स्टडी में हैरान करने वाली बात सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के जितने मामले आए हैं, उनमें से 1-3% केस असिम्प्टोमैटिक हैं। यानी, इन मरीजों के पॉजिटिव पाए जाने से पहले, उनमें संक्रमण का एक भी लक्षण नजर नहीं आया था। लेकिन, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की बुधवार को आई रिपोर्ट में ऐसे मरीजों की संख्या 30% बताई गई।

भारत में भी ऐसे मरीज, पर आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया
यूएस के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसीपी) के अनुसार अमेरिका में इस तरह के 20% मामले सामने आ चुके हैं। सीएनएन, फोर्ब्स और नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा जापान में 30.8%, इटली में 30%, ईरान में 20%, स्पेन में 27% और जर्मनी में 18% पॉजिटिव केस असिम्प्टोमैटिक हैं। ऐसे संक्रमितों में सबसे ज्यादा युवा हैं। भारत में भी ऐसे कई असिम्प्टोमैटिक केस सामने आ चुके हैं। अभी तक केंद्र सरकार की ओर से ऐसे मामलों का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है।

यूएस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.5 लाख पहुंच गई है। यहां अभी तक 5 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।

असिम्प्टोमैटिक केस में लक्षण नजर आने में तीन हफ्ते लग जाते हैं
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, हुबेई प्रांत में कोरोना के 90 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं। फरवरी के अंत तक इनमें से लगभग 43 हजार लोगों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे। अगर थे भी तो ना के बराबर। बाद में इनमें से 20 हजार लोग पॉजिटिव पाए गए थे। इन लोगों में दो से तीन हफ्तों में लक्षण दिखने शुरू हुए। ये तब तक पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे या मामूली दिक्कतें थीं इसीलिए संदिग्ध को 14 दिन क्वारैंटाइन पीरियड में रखा जाता है।

साउथ कोरिया ने सभी को संदिग्ध मानकर किया टेस्ट
साउथ कोरिया में अभी तक 9 हजार संक्रमित पाए गए हैं। 5 करोड़ की आबादी वाले इस देश में करीब 4 लाख लोगों का टेस्ट हो चुका है। साउथ कोरिया की सरकार सभी को संदिग्ध मानकर टेस्ट कर रही है। मतलब जिनमें लक्षण हैं उनकी भी जांच हो रही और जिनमें नहीं है, उनकी भी। रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 20% लोग पॉजिटिव मिले, जिनमें पहले से कोई लक्षण नहीं था। यूएस, ब्रिटेन और इटली में तो जिन लोगों में लक्षण नहीं हैं, उनका टेस्ट ही नहीं किया जा रहा है। विशेषज्ञों ने इन्हीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि इसी के चलते अमेरिका, इटली और ब्रिटेन जैसे देशों में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

साउथ कोरिया में सभी लोगों की जांच हो रही है। सरकार ने पूरे देश को संदिग्ध मानकर टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू की है।

क्या है असिम्प्टोमैटिक?
आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति में दो से तीन दिन के अंदर कोविड-19 के लक्षण दिखने लगते हैं। जैसे बुखार आना, फ्लू होना, कोल्ड होना, शरीर में दर्द होना, सांस लेने में दिक्कत आना। तीन से पांच दिन में ये लक्षण थोड़े और बढ़ जाते हैं। पांच से 10 दिन में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, निमोनिया के लक्षण दिखने लगते हैं। लेकिन जो असिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले होते हैं, उनमें संक्रमण होने के बाद भी लक्षण जल्दी सामने नहीं आते। न तो उन्हें बुखार आता है। अगर आता है तो काफी कम या फिर ठीक हो जाता है। सर्दी-जुखाम नहीं होता। ऐसे लोगों में कोविड-19 के लक्षण सामने आने में दो से तीन हफ्ते लग जाते हैं।

बिना लक्षण वाले संक्रमितों से वायरस फैलने का ज्यादा खतरा
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. बीएल शेरवाल बताते हैं कि बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीज ज्यादा खतरा पैदा कर सकते हैं। मतलब इन्हें खुद नहीं मालूम होता है कि वह संक्रमित हैं। ऐसे में वह लोगों से मिलते-जुलते हैं। घर में आराम से रहते हैं। इसके चलते दूसरों को यह तेजी से वायरस फैल जाता है। ऐसे मामले सबसे ज्यादा युवाओं में आते हैं क्योंकि युवाओं का इम्यून सिस्टम बुजुर्गों और बच्चों से अच्छा होता है। इसलिए जब वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो ये इम्यून सिस्टम उनसे लड़ता है। इसके चलते लक्षण दिखाई देने में समय लग जाते हैं।

बिना लक्षण वाले संक्रमित लोगों से वायरस ज्यादा फैलने का खतरा है।


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30% of the infected did not have a single symptom of infection; This is the major reason for the outbreak in most countries

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